शिक्षक दिवस भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (5 सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अलग-अलग तारीख पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
भूमिका ने इसी वर्ष एक विद्यालय में शिक्षक का पद गृहण किया था। आरंभ का समय था, जितना बच्चे उसे अजीब तरह से देख रहे थे। वह भी बच्चों को अज़ीब तरह से देख रही थी। थोड़ा डरी हुई थी। क्योंकि इससे पहले उसने कभी कहीं पढ़ाया नहीं था। उसके मन में तरह तरह के विचार चल रहे थे। वह सोच रही थी कि कैसे वह इतने बच्चों को एकसाथ संभालेगी? कैसे उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करेगी? कैसे उनके लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनेगी? इस प्रकार के न जाने कितने ही विचारों से वह एकदम से घिर गई।
तभी उसने खुद को संतुलित करते हुए, ख़ुद को वर्तमान में वापस लाने एवम विचारों से बाहर आने का प्रयत्न किया। तभी एक नन्हा बालक उससे उसका नाम पूछने लगा। भूमिका ने उसे बताया और साथ ही में उसका मतलब भी समझाया। धीरे- धीरे सभी बच्चे उससे परिचित होने लगे एवम उससे प्रभावित भी। यही बात उसे रोज़ बच्चों के लिए नए- नए तरीके खोजने का सहारा बनती, जिससे कि उन्हें मुश्किल से मुश्किल विषय भी सरल लगे।
बच्चों को भी उससे पढ़ने में आनंद आने लगा और बच्चे उससे प्रेरित होकर आगे भी बढ़ने लगे। बच्चों को जो विज्ञान का विषय कठिन लगता था वह उन्हें बहुत ही रोचक लगने लगा। वैसे तो प्रधान्याचार्य महोदय ने उसे ऐसी कक्षा दी थी, जिसमें बच्चे पढ़ाई में थोड़े कमज़ोर थे। परंतु, वे उससे प्रोत्साहित हो काफ़ी अच्छा प्रदर्शन देने लगे।
जब उसका जन्म दिन आया, बच्चों ने उससे तोहफा लेने को कहा, उसने एक ही बात कही कि यदि कुछ देना है तो अपना परिणाम बेहतरीन दो। और यदि कोई तोहफा लाना है, तो कुछ हाथों से बनाकर दो। बच्चों ने तरह- तरह के \'ग्रीटिंग कार्ड्स\' बनाकर उसे दिए। एक बच्चे ने उसे जब कहा कि वह रोज़ आए, उसको उससे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। तो उसे इस बात से काफी प्रोत्साहन मिला।
दूसरे बच्चे ने जब उसे यह कहा कि जब भी \'डिसिप्लिन\' की बात आती है, हमें आप याद आते हो, तो उसे बहुत प्रसन्नता हुई। बच्चों की यही सब बातें उसे प्रोत्साहित करती रही और वह बेहतर से बेहतरीन प्रदर्शन देती रही। कुछ बच्चे ऐसे भी थे, जो उसके अनुपस्थित होने पर विद्यालय आना बंद कर देते थे। जब यह बात उसे पता चली तब उसने उन बच्चों को बुलाया और प्यार से समझाया कि भविष्य में यदि वह किसी कारणवश विद्यालय से चली भी जाएगी, तब भी उन्हें रोज़ विद्यालय आना है। यही वायदा उसने उन सभी बच्चों से लिया। सभी ने उससे वायदा किया कि वे रोज़ विद्यालय आयेंगे एवम पढ़ाई में भी बेहतरीन प्रदर्शन देते रहेंगे।
वह दिन भी नजदीक आ गया जब भूमिका को विद्यालय छोड़कर जाना पड़ा। उसने जाते- जाते बच्चों को उनके बेहतरीन प्रदर्शन हेतु तरह- तरह के तोहफे दिए। सभी बच्चे तोहफ़े देखकर बेहद खुश हुए। अतः सभी ने उसे खुशी - खुशी विदा किया।
Palak chopra
09-Nov-2022 03:54 PM
Bahut khoob 😊🌸
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Swati Sharma
10-Nov-2022 08:51 PM
Thank you
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Gunjan Kamal
09-Nov-2022 01:29 PM
शानदार
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Swati Sharma
10-Nov-2022 08:51 PM
Thank you
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Mithi . S
09-Nov-2022 10:22 AM
Bahut khub
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Swati Sharma
09-Nov-2022 11:05 AM
Thank you
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